मोदी जी के लॉकडाउन और कुछ प्रमुख मुद्दों पर सब मौन क्यों ?


 
 रायपुर। आज पूरा विश्व कोरोना महामारी के दहशत में है और इस महामारी के बचाव के लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार धारा 144 और लॉकडाउन की अवधि बढ़ाकर इस महामारी को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। निश्चित रुप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रहित में यह निर्णय ले रहे हैं। लेकिन इस कड़ा निर्णय से रोजी - मजदूरी करने वाले लोग खुद और अपने परिवार का पालन -पोषण कैसे करेंगे ?  प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खाताधारकों को पांच सौ रुपये ही मिले हैं पर क्या इस पांच सौ और शासन -प्रशासन के साथ ही सामाजिक संस्थाओं द्वारा गरीबों को राहत सामग्री दे रहे हैं पर क्या इससे एक माह में इनका पेट भर जाएगा ? क्या इन लोगों की अन्य जरुरत नहीं हैं ? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मकान मालिकों से एक माह का किराया न लेने की अपील की हैं पर इस अपील को धरातल में लाने के लिए क्यों सरकारी आदेश जारी नहीं किया जा रहा है ? श्रमजीवी  और ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों के साथ ही गरीबों के खातें में एक सामान्य खर्च के हिसाब से राशि जमा क्यों जमा नहीं हो रही हैं जनधन योजना से जमा पांच सौ रुपये में क्या होगा ? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल प्रधानमंत्री से लेकर देश के सभी राज्यों ,जिलों में कोरोना महामारी के नाम से दानदाताओं द्वारा जमा की गई राशियों का किस कार्य के लिए उपयोग किया जाएगा ? इन राहत कोषों में जमा हुई राशियों का जनता के सामने पूरी हिसाब क्यों नहीं रखा जा रहा ?
 कई और ऐसे मुद्दे है ,जिससे आज आम नागरिक बहुत परेशान हैं लेकिन सरकार के आदेश के सामने सब बेबस हैं। आखिर 3 मई के बाद क्या उम्मीद है कि लॉकडाउन बंद हो जाए इस पर अभी तक रहस्य बना हुआ है। इस लॉकडाउन में सबसे ज्यादा तकलीफ में तो वह हैं मजदूर, मध्य वर्ग के लोग और इस सब मुद्दों पर सब मौन साधे बैठे हुए हैं।



 तरुण कौशिक, कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर