यह तस्वीर इस संकट की घड़ी को दर्शाती हुई....


ये फ़ोटो शूट किसने किया ये तो पता नहीं ,लेकिन इस फोटो में ज़िंदगी की झलक दिखी जो मै आप सभी से साथ साझा करना चाहता हूं।जैसा कि दिख ही रहा है फोटो एक मजदूर परिवार की है जो लॉक डाउन में काम बंद होने से अपने गांव की ओर पैदल ही जा रहे हैं...रास्ते में एक परिवार,जो अपनी कार से कहीं जा रहे थे,की नजर इन पर पड़ी..कार में बैठे परिवार से इनकी तकलीफ देखी न गई और उन्होंने इन्हें खाने-पीने हेतु मदद की पेशकश की. मजदूर महिला ने शर्माते हुए मना किया तो उसके पति ने भी यह कहते हुए कि "नहीं साहब, हमारे पास पर्याप्त है, आप किसी और को दे देना"...बच्चों में से एक ने सकुचाते हुए पूछ ही लिया "बिस्कुट है क्या?"...कार में बैठे परिवार ने उन बच्चों को बिस्किट दिए और आगे बढ़ गए...


इस मजदूर परिवार के कष्ट देखिए.. रोजगार बन्द,हाथ में थोड़े-से पैसे,माथे पर पूरी गृहस्थी,पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर,चार छोटे-छोटे बच्चे...लेकिन पति-पत्नी के चेहरे पर मुस्कुराहट करोड़ों रुपयों से भी खरीदी न जा सकने वाली...वो क्या कहते हैं  'मिलियन डॉलर स्माईल'...और संयोग देखना है तो देखिए मजदूर माँ के सिर पर रखे बैग पर लिखी "संतुष्टि"...पिता के सिर पर "Good Time".💖।
है न अद्भुत😊 ये भारत है।


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तरुण कौशिक
कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर