रायपुर/ छत्तीसगढ़ राज्य में कोरोना महामारी के बीच लॉकडाउन लगने की वजह से पिछले डेढ़ माह से शासकीय ही नही बल्कि निजी कार्यालय भी पूरी तरह से बंद रहा और लॉकडाउन के तीसरे चरण की पहले दिन से ही सरकारी कार्यालयों के पट खुल गए हैं।जहां एक तिहाई कर्मचारियों के साथ शासकीय कार्य संपादित करने का आदेश दिए गए हैं। जिस पर शासकीय कार्यालयों में ही नहीं बल्कि निजी संस्थानों में भी महिला कर्मचारियों की ड्यूटी नहीं लगाने चाहिए क्योंकि लॉकडाउन के चलते सवारी गाड़ियों का परिचालन पूरी तरह से बंद हैं ऐसे में महिला कर्मचारियों को आवागमन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने केंद्र सरकार के आदेश पर कोरोना महामारी के रोकथाम को देखते हुए 17 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू किए हैं और इस बीच सवारी गाड़ियों के परिचालन पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगाया गया हैं। जबकि शासन एक तरफ शासकीय कार्यालयों में एक तिहाई कर्मचारियों के सहारे सरकारी कामकाज निपटाने का आदेश जारी किए हैं परंतु आज भी कई ऐसे महिला अफसर हैं जो अपने कार्य स्थलों पर घर -परिवार को छोड़कर रहते हुए कार्य कर रहे हैं और सवारी गाड़ियों से कार्य स्थल आवागमन करते हैं तो कई ऐसे महिला कर्मचारी हैं जिनके पास खुद के साधन नहीं हैं ।ऐसे में महिला कर्मचारियों को लॉकडाउन और सवारी गाड़ियों के परिचालन न होने तक ड्यूटी नहीं लगाने की बात कहीं जा रही हैं। इसी कड़ी में राज्य शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के संचालक जितेंद्र शुक्ला ने अपने पत्र क्रमांक /परिषद/स्था-1-110/2020/1091 रायपुर दिनांक 05/05/2020 के माध्यम से शिक्षा महाविद्यालय रायपुर, बिलासपुर के साथ ही डाईट,बाईट,बीटीआई को एक तिहाई कर्मचारी के साथ कार्य करने का आदेश जारी किया है। जबकि उक्त संस्थाओं में 70% प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं ।जिनके पास आवागमन के लिए खुद के साधन न होने से यहां के महिला कर्मचारियों को काफी दिक्कतें होगी ,ऐसे में शासन को चाहिए कि शासकीय एवं निजी संस्थानों में यात्रा करने के लिए सार्वजनिक परिवहन ,सवारी गाड़ियों का परिचालन नहीं होने की स्थिति में महिला कर्मचारियों की ड्यूटी नहीं लगाए जाना उचित होगा। ।।।।
मंत्रालय में नहीं दी जा रही प्रवेश
वहीं कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के तीसरे चरण की पहले दिन से ही सरकारी दफ्तरों के साथ ही राज्य स्तर के कार्यालय भी खुल गए हैं ।जिसमें मंत्रालय भी शामिल हैं जहां पर अभी भी विभागीय सचिव नहीं आ रहे हैं और अपने निवास से ही सरकारी कार्य निपटाया जा रहा है। इनके साथ ही अपनी समास्याओं को लेकर मंत्रालय पहुंचने वाले आम जनों को मंत्रालय प्रवेश पास जारी नहीं किया जा रहा है। जिसका उदाहरण डिसेंट रायपुर के कार्यकारी संपादक तरुण कौशिक खुद हैं जो आवश्यक कार्य के लिए मंत्रालय गए हुए थे लेकिन मंत्रालय के सुरक्षा कर्मियों ने शासन स्तर से मंत्रालय प्रवेश पास जारी नहीं करने का आदेश दिए हैं। इसका जानकारी नहीं होने के कारण भारी संख्या में आवश्यक कार्यों के लिए मंत्रालय पहुंचने वाले आम नागरिक, प्रतिष्ठित नागरिकों के साथ ही सरकारी कर्मचारियों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है।।।।।।
सर्किट हाउस बना स्वास्थ्य मंत्रालय
वहीं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग मंत्रालय कोरोना महामारी के रोकथाम को लेकर शुरुआत से ही कार्य कर रहे हैं और धारा 144 के साथ ही लॉकडाउन के शुरुआत से ही यह विभाग मंत्रालय में संचालित होने के बजाए स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव के सरकारी बंगले के ठीक सामने स्थित न्यू सर्किट हाउस में पिछड़े डेढ़ माह से स्वास्थ्य विभाग यहीं से संचालित हो रही हैं। जिससे यह कहना गलत नहीं होगा कि न्यू सर्किट हाउस स्वास्थ्य विभाग का विभागीय मंत्रालय बन गया हैं।
तरुण कौशिक, कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर