आंध्र प्रदेश विशाखापट्टनम के वेंकटपुरम के गांव में गुरुवार ताजा सुबह एक केमिकल प्लांट से गैस लीक हो गई विशाखापट्टनम त्रासदी छोटी है पर इसने *मध्यप्रदेश*
भोपाल गैस त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं विशाखापट्टनम केमिकल प्लांट से गैस लीक होने से 2 बच्चों सहित अब तक 17 लोगों की जानें जा चुकी हैं यह गैस एलजी पॉलीमर्स इंडस्ट्री के प्लांट से लीक हुई और 4 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 5 से 6 छोटे गांव में फैल गई आज की रिसर्च के तहत 12000 लोग बीमार हैं यह हादसा भोपाल हादसे से बहुत छोटा है लेकिन मौत का मंजर हमेशा भयानक माना जाता है इसी तरह अब से 35 साल 5 माह पहले *मध्यप्रदेश* भोपाल में गैस त्रासदी 2 दिसंबर 1984 की रात में यूनियन कार्बाइड कारखाने की गैस के रिसाब से हजारों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई सरकारी आंकड़ों के हिसाब से बताया गया कुछ ही घंटों में 3000 लोगों की मौतें हो चुकी हैं वहीं गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस से 3 गुना ज्यादा जान जाने का आंकड़ा बताया गया अन्य जानकारियों से पता चला 2 सप्ताह की मुद्दत होने पर 11000 लोगों की मृत्यु हो गई थी बाकी टोटल मरने वालों की संख्या 19000 कुछ थी उस रात कार्बाइड के प्लांट नंबर सी में हुए रिसाव से बने गैस के बने बादलों को हवा के झोंके अपने साथ उड़ा कर ले जा रहे थे और लोग मौत की नींद सोते जा रहे थे लोगों को समझ नहीं आ रहा था आखिर ऐसा क्या हो रहा है कुछ लोगों का कहना था कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती रही कई दिनों तक और 19000 से अधिक लोगों की सांस के साथ गैस फेफड़ों में अधिक पहुंचने के कारण दिन-प्रतिदिन एक के बाद एक व्यक्ति सूरज देखने से वंचित रह गए वही टोटल गैस त्रासदी में घायल होने वाले लोगों की संख्या 500000 से अधिक यानी के मैक्सिमम 600000 लोग त्रासदी में अपनी आंखें हाथ पैर यानी के हैंडीकैप हो गए वे लोग आज भी जिंदा तो है पर अपनी जिंदगी से बेबस मायूस हो गए हैं भोपाल गैस त्रासदी गंभीर वायु प्रदूषण का कारण बनने वाली सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना है भोपाल में हुई दुर्घटना जिसमें 2 दिसंबर 1984 की रात को अचानक यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक उत्पादन संयंत्र से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसायनाइड गैस रिस कर हवा में फैल गई इस त्रासदी से लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा और मिट्टी तथा भोम जल भी प्रदूषित हुआ जिसे आज भी महसूस किया जा रहा है इस त्रासदी पर हुए फैसले पर विवाद छिड़ा हुआ है इससे पता चलता है कि औद्योगिक त्रासदीयों के संदर्भ में भारत में अभी भी कोई हरित कानून नहीं बना है भोपाल त्रासदी के अपराधियों पर कुछ जुर्माने के साथ केवल 2 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई उन पर लापरवाही के कारण मौत होने का आरोप और इसमें होने वाली अधिकतम सजा उन्हें दी गई इस फैसले की दोबारा समीक्षा करने और कानूनों में संशोधन करने की अपील अभी भी विचाराधीन है हम भारतवासी हर एक जयंती तो मनाते हैं चाहे वह भोपाल त्रासदी घटना की हो चाहे वह अन्य किसी की भी हो लेकिन किसी के हक़ में कुछ अच्छा करने का आगे बढ़ने का जज्बा हमारे अंदर नहीं है यह बहुत गलत बात है सोचो अगर ऐसे ही किसी हादसे का शिकार हम या हमारे पारिवारिक कोई भी व्यक्ति हो जाए तो क्या हम चुप रहेंगे खुद सोचेगा और उत्तर भी स्वयं आपके मन में ही छिपा है इसके साथ ही विशाखापट्टनम में गैस लीक हो चुकी है इस वक्त इंडियन गवर्नमेंट वेरी पावरफुल मैन पीएम नरेंद्र मोदी जी इस तरह के तमाम मुद्दों को निपटाने का यानी कि सही हक देने का वक्त आ गया है मोदी जी हैं तो अच्छे निर्णय मुमकिन है वहीं हम बात करें *तेल से होने वाले प्रदूषण की* समुद्रों में होने वाले तेल प्रदूषण के स्पष्ट रूप से दिखाई देने के कारण सामान्यता अधिक ध्यान जाता है इसका प्रमुख स्रोत टैंकरों का प्रचालन है जब जहाज अपनी वापसी यात्रा के दौरान पूरक भार के रूप में समुद्री जल भरकर ले जाते हैं तब यह पूरक जल उन कार्गो कंपार्टमेंटओं में भरा जाता है जहां पहले तेल भरा हुआ था कार्गो खाली करने के बाद कुछ तेल कंटेनर की दीवारों पर चिपका रह जाता है अतः पूरक जल भरने पर यह जल तेल से प्रदूषित हो जाता है तेल का नया कार्गो भरने से पहले इन कंपार्टमेंटो को पानी से धोया जाता है और गंदे तेल से प्रदूषित पूरक जल को समुद्र में उड़ेल दिया जाता है अन्य स्रोतों में मरम्मत के लिए जहाज को शुष्क स्थल पर उतारना तेल का उत्पादन और टैंकरों की दुर्घटना शामिल है वर्ष 2010 में बीपी की तेल दुर्घटना और 2010 में मुंबई की तेल बिखराब दुर्घटना ऐसी ही बड़ी आपदाओं के ताजा उदाहरण है जिनसे समुद्र बुरी तरह प्रदूषित हो गए तेल बिखराव दुर्घटनाएं एक्सोन वाल्डेज कि तेल रिसाव दुर्घटना अब तक की सबसे बड़ी दुर्घटना है 24 मार्च 1989 को एक्सोन वाल्डेज नामक एक टैंकर जिसकी चौड़ाई फुटबॉल के 3 बड़े मैदानों के बराबर थी रास्ते से भटक कर अलास्का में वोल्टेज के निकट प्रिंस विलियम साउंड में एक 16 किमी चौड़े चैनल में जा घुसा इसने जलमग्न चट्टानों को टक्कर मारी जो ईवीएस के लिए भयंकर आपदा बन गए टैंकर से तेजी से बहता हुआ तेल तट रेखा के सोलह सौ किमी से अधिक क्षेत्र में फैल गया जिससे 300000 और 645,000 के बीच जलकर पक्षी और बड़ी संख्या में समुद्री ऊदबिलाव, हार्वर,सील, हवेल ,और मछलियां मारे गए एक्सोन ने इस तबाही को साफ करने के लिए तत्काल 2.2 बिलियन डॉलर खर्च किए किंतु कुछ परिणामों से पता चला कि जहां भी तटों को साफ करने के लिए गर्म पानी के उच्च दाब वाले जंतुओं का प्रयोग किया गया था वहां वह पौधे और जीव जंतु भी मर गए जो तेल के रिसाव के दुष्प्रभावों से बच निकले थे अतः इससे लाभ के स्थान पर हानि हुई एक्सोन को 1991 में अपराधी स्वीकार किया गया और संघीय सरकार और अलास्का सरकार को जुर्माने और जानमाल की क्षति के लिए एक बिलियन डॉलर का भुगतान करना मंजूर किया यदि एक्सोन ने टैंकर में दोहरा खोल एक खोल के अंदर दूसरा खोल लगाने के लिए केवल 22 पॉइंट 5 मिलियन डॉलर खर्च किए होते तो दुर्घटना के कारण 8.5 विलियन डॉलर की क्षति ना हुई होती दोहरे खोल वाले जहाजों के टूटने और उनमें भारी सामग्री बिखरने की संभावना कम होती है इस रिसाव के बाद समुद्री प्रदूषण की रोकथाम के उपाय ढूंढने की आवश्यकता तीव्रता से महसूस हुई *डीप वॉटर होराइजन तेल दुर्घटना*
डीप वॉटर होराइजन तेज दुर्घटना जिसे मेक्सिको की खाड़ी की तेल रिसाव दुर्घटना यानी बीपी तेल दुर्घटना भी कहा जाता है इतिहास की सबसे बड़ी तेल दुर्घटनाओं में से एक है 10 अप्रैल 2010 को समुद्र की सतह से लगभग 5000 फुट नीचे तेल के एक कुएं में आग लग गई जिससे डीप वाटर होराइजन के तेल निकालने के अपतटीय ड्रिलिंग प्लेटफार्म पर भयंकर विस्फोट हुआ इससे आज तक लाखों लीटर तेल समुद्र में बह चुका है तेल के कुए को स्थाई रूप से बंद करने के लिए सहायक कुओ की खुदाई का काम आज भी चल रहा है अनुमान है कि विस्फोट कुएं से अब तक प्रतिदिन 12000 से 19000 बैरल तेल बह रहा है आशंका है कि पेट्रोलियम विषाक्तता से हजारों समुद्री और पक्षी पर जातियों के आवास पर प्रभाव पढ़ रहा है प्रभाव पड़ना आज तक जारी है इस पर्यावरण दुर्घटना से मेक्सिको की खाड़ी के मछली उद्योग और पर्यटन उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ा है पक्षी जब पानी पीने जाते हैं तो उनके पर पानी आनी के तेल में डूब जाते हैं और चिपक जाते हैं उस तेल को पक्षी अपनी चोट से छुड़ाने के प्रयास करते हैं इस कारण को तेल उनकी आंखों में पहुंच जाता है और उनकी मौत का कारण बनता है ऐसे ही दुनिया का निजाम चलता रहा तो हम सबके लिए चैन की सांस लेना मुश्किल हो जाएगा इसलिए ठोस कदम उठाइए जितना स्वच्छ भारत ऊपर से दिखता है उतना ही स्वच्छ भारत बुनियादी बनाई है जय हिंद
अंजुम कादरी
इंडियन गवर्नमेंट वॉलिंटियर कोविड-19
सितारगंज, उधम सिंह नगर ,उत्तराखंड