भूपेश की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाना ही लक्ष्य : अंकित


बिलासपुर । छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाना ही जनप्रतिनिधियों का काम है। इतिहास गवाह है कि यदि लड़कियां ठान लें तो सफलता को चलकर आना ही पड़ता है। यह बात जिला पंचायत बिलासपुर के सभापति अंकित गौरहा ने व्यक्त किए हैं। 


बिल्हा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत लखराम में स्कूली बच्चियों और अभिभावकों के बीच सायकल वितरण के दौरान मुख्य अतिथि की आसंदी से जिला पंचायत सभापति अंकित गौराह ने कहा कि नदी का पानी और प्रतिभा को कभी रोका नही जा सकता है । आज हमारी यही बेटियां कल की किरण बेदी और इंदिरा गांधी होंगी। हमें अपने बेटियों पर नाज है।


  बताते चलें कि लखराम स्कूल में दो चरणो में सायकल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सुबह समय अंकित गौरहा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने बच्चियों के बीच करीब 57 सायकल का वितरण किया। अपने संक्षिप्त उद्बोधन में अंकित ने कहा कि बच्चों को देख बचपन की याद ताजा हो जाती है। हम शरारती हुआ करते थे। हमेशा पढ़ाई से बचने का प्रयास किया। लेकिन गुरूओं ने ईमानदारी से अपना धर्म निभाते हुए सीमित संसाधनों में हमें समाज और देश के काबिल बनाया। इन्होंने बचपन की बातों को याद करते हुए कहा कि हमारा भविष्य हमारी मुठ्ठियों में है। हम जैसा आज करेंगे कल वैसा ही बनेंगे। खासकर देश को बच्चियों से बड़ी उम्मीदें है क्योंकि बच्चियां मां- बाप की लाड़ली होती है। आज इस बात का अहसास हो रहा है आखिर ऐसा क्यों होता है। अंकित ने बताया कि आज सरकार एक पालक की तरह बच्चियों के विकास को लेकर हमेशा केन्द्रित है। सच भी है कि यदि बच्चियां पढ़ी लिखी होनहार होंगी तो कल का समाज भी शिक्षित और सफलता को चूमने वाला होगा।


अंकित  गौरहा ने कहा कि सायकल वितरण केवल बच्चियों में किया जा रहा है। इसकी वजह भी स्पष्ट हैं क्योंकि हम सबको पता है कि परिणाम सौ प्रतिशत बच्चियों से ही हासिल होता है। हर साल आने वाला परीक्षा परिणाम इसका सबसे बडा उदाहरण है।


तीन घंटे पहले पहुंचे सासंद- विधायक


वहीं ग्राम पंचायत लखराम में स्कूली बच्चों को सायकल वितरण का दूसरा कार्यक्रम दोपहर एक बजे होना था। लेकिन सांसद अरूण साव और स्थानीय विधायक रजनीश सिंह करीब तीन घंटा पहले ही पहुंच गए। इस बीच सभापति अंकित गौरहा ने कार्यक्रम में शामिल होने के बाद निकल गए । जिससे कार्यक्रम आयोजन को भी आश्चर्य होना पड़ा और दूसरे चरण के कार्यक्रम को भी जल्द ही निपटना पड़ा।