हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शिक्षक को नहीं मिला न्याय


तरुण कौशिक, कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर अखबार



स्कूल शिक्षा सचिव पर एफआईआर दर्ज करने सौंपा ज्ञापन


रायपुर। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार के छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ियो को न्याय दिलाने में पूरी तरह से विफल हैं और हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कांग्रेस सरकार संबंधितों के खिलाफ पूरी तरह से मौन साधकर लापरवाह और कामचोर अफसरों पर मेहरबानी बरसा रहे हैं। जिनका उदहारण बिलासपुर जिला शिक्षा विभाग का एक मामला हैं।


  बिलासपुर जिले के तखतपुर विकास खंड के ग्राम पंचायत छतौना स्कूल में पदस्थ शिक्षक श्याम मूरत कौशिक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रकरण में शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी एवं शिक्षण संचालक द्वारा शिक्षक को गुमराह करने तथा अंधेरे में रखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को गलत जानकारी देकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति को निरस्त कराने की प्रक्रिया छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में शिक्षक श्याम मूरत कौशिक द्वारा लगाया गया था उच्च न्यायालय ने आवेदक को निर्देशित किया था कि इस पर छत्तीसगढ़ शासन को अभ्यावेदन लगावे शिक्षक द्वारा उच्च न्यायालय के परिपालन में 318 2018 को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था । जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा यह निर्देश दिया गया था शासन को कि इस प्रकरण पर 60 दिवस के भीतर निराकरण अनिवार्यता किया जावे किंतु आवेदक का बिना पक्ष सुने शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा 195 दिन बाद आवेदक को यह लिखित में दिया गया कि आपका आवेदन अमान्य किया जाता है, इस पर मुख्यमंत्री को भी अनुरोध पत्र आवेदक द्वारा दिया गया जिसे शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने गुमराह करते हुए अपने जारी आदेश के बाद मुख्यमंत्री से अनुमोदन लिया । इस प्रकरण पर शिक्षक श्याम मूरत कौशिक को काफी मानसिक प्रताड़ना एवं आर्थिक नुकसान होने के कारण उसने मामला पुलिस अधीक्षक रायपुर को आवेदन पत्र प्रस्तुत कर शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी एवं संचालक शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन के विरुद्ध कूट रचना करके षडयंत्र पूर्वक अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश जारी करना न्यायालय के विरुद्ध 195 दिन में बिना पक्ष सुने अभ्यावेदन करता को सूचना देना यह सब प्रताड़ना करने के कारण अपराध की श्रेणी में आता है । उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जावे इस पर पुलिस अधीक्षक रायपुर द्वारा थाना पुलिस राखी को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया । प्रकरण में सेवानिवृत्त शिक्षक श्याम मूरत कौशिक द्वारा संपूर्ण दस्तावेज की छाया प्रति 25 प्रति में संलग्न कर प्रस्तुत किया है । साक्षी सहित और आवेदनकर्ता शिक्षक का बयान भी दर्ज राखी आरक्षी केंद्र में लिया गया है । ऐसे लापरवाह अधिकारियों के कारण ही शासन की छवि खराब होती है । देखना होगा कि इस मामले पर राखी पुलिस प्रशासन क्या कार्रवाई करते हैं ? इस मामले को लेकर डिसेंट रायपुर संवाददाता ने शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी से फोनकर उनकख पक्ष जानना चाहा मगर संपर्क नहीं होने से गौराव द्विवेदी का पक्ष नहीं जान पाए । बहरहाल देखना होगा कि इस पूरे प्रकरण पर रायपुर पुलिस अधीक्षक निष्पक्ष कार्रवाई करते हैं या नहीं ? 


सर्वणों के लिए शिक्षा विभाग हुआ आरक्षित


वहीं अनिवार्य सेवानिवृत्त शिक्षक श्याम मूरत कौशिक का कहना हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सर्वणों के लिए आरक्षित कर दिए हैं ,शायद यहीं कारण हैं कि गौराव के बाद नान घोटाले के आरोपी डॉ. आलोक शुक्ला को इस विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी और संविदा नियुक्ति के बाद भी इन्हें ही इस पद पर नियुक्ति देना समझ से परे हैं ।