माइक्रोसॉफ्ट या गूगल दोनों कंपनियां 6 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में हो सकती है जियो के साथ अंतिम डील



               गूगल पहले ही वोडाफोन आइडिया में भी हिस्सेदारी खरीदने की चर्चा कर चुकी है








  • जियो को अब तक 21.6 प्रतिशत के लिए मिला है 97,885 करोड़ रुपए

  • वोडाफोन और भारती एयरटेल में भी कंपनियां हिस्सेदारी खरीदने को तैयार


मुंबई/ मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी जियो प्लेटफॉर्म में अंतिम डील होने की तैयारी है। इस डील के रूप में जियो के पास दो विकल्प हैं। एक विकल्प में वह माइक्रोसॉफ्ट को चुन सकती है या फिर दूसरे विकल्प में गूगल को चुन सकती है। यह दोनों कंपनियां जियो में 6 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखा रही हैं।


वर्तमान वैल्यूएशन पर 6 प्रतिशत का वैल्यू 30,000 करोड़ के करीब - अभी तक जिन कंपनियों ने निवेश किया है, उनके वैल्यूएशन के आधार से जियो की 6 प्रतिशत हिस्सेदारी के एवज में 30,000 करोड़ रुपए के करीब की राशि मिल सकती है। हालांकि गूगल दूसरी ओर जियो की प्रतिद्वंदी कंपनी वोडाफोन आइडिया के साथ भी 5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की बात कर रहा है। ऐसे में यह संभावना कम है कि गूगल की डील जियो के साथ हो जाए।


7 हफ्तों में 8 डील हुई है जियो के साथ - बता दे कि मुकेश अंबानी की जियो ने अब तक 97,885 करोड़ रुपए का निवेश 7 हफ्तों में हासिल किया है। कुल 8 कंपनियों ने 21.6 प्रतिशत हिस्सेदारी के एवज में यह निवेश किया है। अब जियो में अंतिम डील के रूप में गूगल और माइक्रोसॉफ्ट निवेश करने को तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक गूगल अभी भी रिलायंस जियो में निवेश के लिए अवसर देख रही है। इन दोनों कंपनियों को देखते हुए रिलायंस जियो के पास एक निवेशक को रिजेक्ट करना होगा। खबर है कि अब जियो में अंतिम हिस्सेदारी बिक रही है। जिसकी वजह से एक कंपनी को अवसर मिलेगा।


अमेजन की भारती एयरटेल के साथ डील पर चर्चा - दूसरी ओर अमेजन टेलीकॉम सेक्टर की ही एक दूसरी कंपनी एयरटेल में हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश कर रहा है। इस तरह से देखा जाए तो तीनों भारतीय टेलीकॉम कंपनियों में विदेशी कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ी है। एक तरह से भारतीय बाजार में अपनी जमीन तैयार करने के लिए विदेशी कंपनियां इन घरेलू टेलीकॉम कंपनियों के साथ आना चाहती हैं।


भारतीय टेलीकॉम कंपनियों को मिली संजीवनी - गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की जो भी डील जियो से हो, लेकिन इन सबके बीच एक बात जो फायदे की रही है, वह यह की संकट से गुजर रही भारतीय टेलीकॉम कंपनियों को संजीवनी मिल गई है। सालों से लगातार इनके स्टॉक पिटे हैं साथ ही उनकी बैलेंसशीट में तनाव दिखा है। ऐसे में अगर वोडाफोन और भारती एयरटेल के साथ गूगल और अमेजन की डील होती है तो तीनों टेलीकॉम कंपनियों के साथ विदेशी कंपनियां भी भारतीय बाजार में बराबर की लड़ाई लडेंगी।