नगार - बईला लेके चलव मय आवत हव...



// तरुण कौशिक // कार्यकारी संपादक की कलम से...


छत्तीसगढ़ राज्य ल ' धान के कटोरा ' कहे जाथे जउन ह छत्तीसगढ़िया मन बर किस्मत के गोठ बात आए । आज किसान मन हमर राज्य ल ए मान - सम्मान दिलाए बर दिन -रात कामबूता करथे । छत्तीसगढ़ राज्य ह कृषि प्रधान राज्य आए । आज बरसात के दिन सुरु होके ।ऐखर संगे संग हमर खेती किसानी के दिन घलो सुरु होके हवै अउ हमार अन्नदाता मन अपन - अपन खेत बाड़ी म नगार - बईला ,रापा - कुदारी लेके खेत डहर जात हवै जउन ह अपन मेहनत से हमार सुघ्घर राज्य ल ' धान के कटोरा ' बनाए बर दिन रात गिरत पानी म काम बूता करही ,मोर भाग्य आए के मय छत्तीसगढ़ महतारी के भूईंया म जन्म पाए हव। 


  आषाढ़ के महीना ले फागुन महीना तक हमार किसान मन कड़ी मेहनत कर के हमार भूईंया म उपजे धान के चांउर ल दुनिया भर म पहुंचाए अउ हमार किसान मन के मेहनत ले सबो ल पेटभर खाना मिलही। आज गांव देहांत म लईका से लेके सियान तक ह खेत म कामबूता करत देखत हन ।किसान म बिहनिया ले नगार - बईला के संग खेत के जोताई करत हे कुछ दिन बाद धान के रोपाई -बोहआई हो जाही फेर छैः महीना के बाद किसान मन ल धान कटाई के बाद अपन मेहनत के फल मिलही। 


आज चारों डहर खेती किसानी के गौठ बात चलत हे । किसान ह बड़े बिहनिया अपन घर-दूवारी ले खेती के काम बूता करें बर जावत हे ,बरसात के मजा लेवत हे हमार भूईंया ह बरसात म नहावत हवै ।माटी खुशबू ले हमर तन- मन ल खुसी मिलत हवै। अब्बड़ खुसी के गौठ बात आए के हमार सियान म नगार - बईला ,रापा- कुदारी लेके खेत डहर जावत हवै अउ हमार दाई - बहिनी ल कहत हवै घर -दूवारी के बूता ल कर के जल्दी खेत आबे । दाई - बहिनी घलो म कहत हवै चलव नगार - बईला ,रापा - कुदारी ल लेके मय तुंहर पाछू -पाछू घर - दूवारी के बूता ल कर के रोटी - बीटा, बोरे बासी, गोदली , टमाटर ,आमा के चटनी लेके खेत आवत हव ,मिलजुल के खेती किसानी करबो। हमार राज्य के किसान मन रोटी, बोरे बासी ल चटनी म पेटभर खाके हमार देश बर अनाज उपजावत हवै ,आईसन हमार छत्तीसगढ़िया किसान ल ओमन के गोड़ छू के मय पयलगी करत हवव। हम छत्तीसगढ़िया मन किस्मत के धनी आन जउन ह छत्तीसगढ़ महतारी के गोद म जिनगानी जीयत हन । छत्तीसगढ़िया किसान के मेहनत ले ही हमन अपन राज्य ल ' धान के कटोरा ' के नाव ले जानत -पहचानत हन। धन्य ह आईसन किसान जउन ह हमर राज्य ल ' धान के कटोरा ' बनाए हवै । तव चलव किसान ददा हो नगार - बईला लेके खेत डहर हमर दाई - बहिनी मन तुंहर पर बोरे बासी लेके आए अउ मिलजुल के छत्तीसगढ़ महतारी के भूईंया म धान जन्माबो..!