सीईओ की कुर्सी हथियाने कोरोना महामारी में बेहतर कार्य करने वाले का गिराया जा रहा मनोबल


तरुण कौशिक ,कार्यकारी संपादक ,डिसेंट रायपुर अखबार



लाखों की गबन पर बैंक प्रबंधन, कम्प्यूटर संचालक पर मेहरबानी ?


 


 


रायपुर । छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में आम जनता की बात दूर अफसरों को भी न्याय मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही हैं और राजनीतिक दबाव में बेहतर कार्य करने वाले को जांच कमेटी बलि का बकरा बनाने में लगे हुए हैं । जिससे जिला पंचायत सीईओ के कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़ा होने लगा हैं । 


बिलासपुर जिले के बिल्हा जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष विक्रम सिंह द्वारा बंद हो चुके बीआरजीएफ योजना सहित अन्य मदों पर लगभग 31 लाख रुपये के घोटाले को लेकर जनपद पंचायत सीईओ बी.आर.वर्मा पर नामजद शिकायत किया गया था। जिस पर तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल ने जांच कमेटी बनाकर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिए थे लेकिन इस मामले पर जिला पंचायत के एक जिम्मेदार पदाधिकारी के दबाव में सीईओ वर्मा के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करने की तैयारी करते हुए मामले पर बयान दर्ज करने को लेकर रुचि न रखने का आरोप लगाकर जांच कमेटी के सदस्य इस मामले पर सीईओ बी.आर.वर्मा को पूरी तरह से फसाकर बिल्हा जनपद पंचायत सीईओ बनने की चाहत रखने वाले का सहयोग करने में लगे हुए हैं । इस मामले में जांच कमेटी में शामिल एक सदस्य ने बताया कि बिल्हा जनपद पंचायत में बंद हो चुके बीआरजीएफ योजना से सपना कम्प्यूटर संचालक लालू शर्मा को अलग अलग चेक से लगभग 11 लाख रुपये का भुगतान किया गया था ।जिसमें लेखाधिकारी इंदू बघेल, सीईओ बी.आर.वर्मा के संयुक्त हस्ताक्षर से चेक जारी किया गया था।जिसमें कांट छांट कर राशि बढ़ोत्तरी की गई ।जिसमें बैंक प्रबंधन के साथ ही सपना कम्प्यूटर संचालक लालू शर्मा की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध रहा हैं मगर राजनीति दबाव के कारण इस मामले पर जनपद पंचायत सीईओ बी.आर.वर्मा पर बयान दर्ज न करने का आरोप लगाकर एकतरफा जांच प्रतिवेदन बना कर जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह ठाकुर को प्रस्तुत किये जाने की तैयारी की जा चुकी हैं । जबकि इस मामले पर जनपद पंचायत सीईओ ने जांच अधिकारी को कार्यालयीन पत्र लिखकर मामले से संबंधित दस्तावेज की मांग की थी ताकि वह तथ्यों के साथ अपना जवाब प्रस्तुत कर सके मगर पत्र सौंपने के बाद भी जांच अधिकारी एस.पी.पोर्ते कोई जवाब नहीं दिए और अब जिला पंचायत के एक जिम्मेदार पदाधिकारी के दबाव पर सीईओ वर्मा के खिलाफ एकतरफा जांच प्रतिवेदन तैयार कर इन्हें निलंबित कराकर एक सर्वण वर्ग के अधिकारी को सीईओ बनाने की पूरी तैयारी कर लिए हैं । 


वहीं इस मामले पर जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह ठाकुर से चर्चा करने का प्रयास किया गया मगर उनसे चर्चा नहीं हो पाया। बताया जा रहा है कि इस मामले से सीईओ ठाकुर पूरी तरह से अंजान हैं ।बहरहाल आज बिल्हा सीईओ की कुर्सी पाने के चाह पर कोरोना महामारी में बेहतर कार्य करने वाले सीईओ वर्मा का मनोबल गिराकर सरकार को बड़ी चुनौती दी गई हैं ।


 


वर्मा सीईओ रहेंगे तो राजनीति दखल पर लगेगा लगाम


वहीं जनपद पंचायत बिल्हा के सरपंच, सचिवों का कहना हैं कि जनपद पंचायत बिल्हा के सीईओ के रुप में बी.आर.वर्मा रहेंगे तो यहां से जनपद पंचायत स्तर में राजनीतिक दखल पर लगाम लग जाएगी और पंचायतों के सरपंच, सचिव अपने पंचायतों में पूरी ईमानदारी से विकास की गंगा बहाएंगे क्योंकि आज राजनीतिक दबाव के कारण कमीशनखोरी बढ़ गई हैं । निश्चित रुप से सीईओ वर्मा यहां रहेंगे तो पंचायतों में राजनीतिक दखल खत्म हो जाएगी।


 


जनपद सदस्यों का ज्ञापन रद्दी में मौन ?


वहीं जनपद पंचायत बिल्हा के सदस्यों ने डिसेंट रायपुर में प्रकाशित समाचार की कतरन के साथ कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर को ज्ञापन पत्र सौंपकर अखबार में प्रकाशित तथ्यों की निष्पक्ष जांच करने की मांग की थी मगर जिला पंचायत के जांच कमेटी द्वारा सीईओ बी.आर.वर्मा के खिलाफ एकतरफा जांच प्रतिवेदन बनाए जाने से ऐसा लगता हैं कि जनपद पंचायत सदस्यों का ज्ञापन रद्दी की टोकरी में फेंक दिए गए हैं। जिस पर जनपद सदस्यों का मौन रहना समझ से परे हैं ।