सरकारी सिस्टम से हर कोई हताश, मैं भी शामिल पर क्या न्याय मिलेगा ?


डिसेंट रायपुर के कार्यकारी संपादक तरुण कौशिक ने उठाऐ गंभीर सवाल


 रायपुर । आज सरकारी सिस्टम से हर कोई तकलीफ में हैं ,खासकर गरीब लोग जो न्याय मांगने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा - लगा के थक चुके हैं । उसमें से मैं एक पीड़ित हूँ और पूरी तरह से हताश होकर मैंने कल रात घर छोड़ कर खुदकुशी करने की सोच को लेकर निकाला था और सोशल मीडिया में अपनी तकलीफों को लिखा बहुत कुछ लिखना चाहता था मगर लिखने से क्या फायदा क्यों कि होना जाना कुछ नहीं लेकिन रायपुर और बिलासपुर के साथ ही वरिष्ठ अफसरों को मेरे संदेश मिलते ही मेरा खोजबीन किया गया और मैं रात को गंभीर विचार कर खुदकुशी करने का निर्णय को वापस लेकर अपने मित्र रामू साहू के घर में सोया था और पुलिस ने मुझे उनके मकान से लेकर थाना सिरगिट्टी लेकर आ गए । जिन्होंने गुमशुदगी का मामला दर्ज किया और शायद यहां पर पुलिस ने अपना काम पूरा करके राहत की सांस ले ली मगर सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि मैंने जिन बातों का जिक्र करते हुए खुदकुशी करने की बात और सरकार पर गंभीर आरोप लगाया था उस पर क्या जांच होगी और न्यायसंगत कार्रवाई होगी । मेरे कुछ प्रमुख सवाल यह हैं कि आज महिला कानून की आड़ में बिना जांच -पड़ताल के युवकों ,पुरुषों पर सीधे 354,376 के तहत एफआईआर दर्ज किया जा रहा हैं ,क्या इस पर विधानसभा, लोकसभा में बदलाव के लिए सरकार कार्य करेंगे ? छोटी - छोटी समास्याओं को लेकर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक से मुख्यमंत्री सचिवालय तक आवेदन पत्र दिए जाते हैं पर कार्रवाई नहीं होती हैं ? आज हजारों परिवार अनुकम्पा नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं ,हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार और शासन - प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं ? एक विवादित अधिकारियों को सरकार संविदा नौकरी देता हैं एक गरीब नौकरी के लिए मौत को गले लगा रहा ? एक रसूखदार को मौखिक आदेश पर अफसर बनाया जाता हैं और नियम में होने के बाद भी एक नीचे वर्ग के कर्मचारी को स्थानांतरण, प्रमोशन के लिए हाईकोर्ट तक जाना पड़ता हैं । सरकारी राशि के घोटाले बाजों को सरकार और प्रशासन सरंक्षण दे रहा हैं? मैं बीस वर्षों से पत्रकारिता ,साहित्य के क्षेत्र में काम करते आ रहा हूँ। सरकारी सिस्टम से लोग इतने अधिक परेशान और नाराज हैं कि उनके पास आखिरी में मौत को गले लगाने के सिवाय कोई चारा नहीं होता हैं । मैं भी इस सिस्टम का एक पराजित इंसान हूँ ।वहीं कुछ पत्रकार साथियों ने खबर चला रहे हैं उसमें मेरे ऊपर शराब पीने की बातें कहीं जा रही हैं उनका खंडन करता हूँ क्योंकि मैं शराब नहीं पिया था। कुछ पत्रकार साथियों को मैं ने साक्ष्यों के साथ अपनी बात रखी थी पर किसी अखबार ने मेरा खबर को नहीं प्रकाशित किया और कल मेरे बरामदगी का खबर अखबार नवीस ,सोशल मीडिया वाले बड़े - बड़े फोटोज के साथ खबरें प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे पर क्या मेरे जैसे हजारों लोग किस कारण से हताश होकर खुदकुशी करने की सोचते हैं उनके बीड़ा को महत्व देकर खबर प्रकाशित करेंगे ,शायद नहीं और मेरे इस बातों को भी कोई महत्व न देते हुए खबर प्रकाशित नहीं किया जाएगा। बहरहाल कल मैं ने सरकार और शासन - प्रशासन के साथ ही न्याय पालिका ऊपर जो आरोप लगाते हुए अपनी बातें कहते हुए खुदकुशी करने का निर्णय लिया था वह हताश होकर निर्णय लिया था मगर जो बातें ऊपर कहा हूँ उसके मेरे पास सारे तथ्य हैं जो सरकारी सिस्टम की कहानियां बता देंगे।