ग्राम पंचायत पारागांव नरवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए शासन से आर्थिक सहयोग की अपेक्षा - सरपंच दिपेश्वरी
रायपुर । आरंग के समीप गुजरती महानदी के समीप बसा है पारागांव जहां के ग्रामीण केवल काश्तकारी कर अपना जीवन यापन करते है हालांकि ग्राम में मूलभूत एव अन्य सुविधाओं में कोई खास कमी नही दिखती मगर वर्तमान में छग शासन की अति महत्वपूर्ण योजना नरवा,गरुवा, घुरूवा, बाड़ी, योजना के सफल क्रियान्वयन में आर्थिक अभाव का टोटा बना हुआ है जिसके चलते उक्त योजना के भविष्य में सफल होने पर ग्रामीणों द्वारा सन्देह व्यक्त किया जा रहा है इसका मुख्य कारण पारागांव सरपंच द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि शासन द्वारा जारी अल्प राशि योजना के नाम पर पर्याप्त नही है जो वर्ष भर में ही टांय टांय फिस्स हो सकता है।
सरपंच दिपेश्वरी नारायण पाल ने बताया कि ग्राम पारा गॉव में लगभग बीस एकड़ भूभाग में गौठान निर्माण किया गया है जिसमे छ शेड निर्माण के साथ ही कुल 13 बेड टैंक बनाया गया है जिसमे गाय के चारा पानी की पृथक व्यवस्था की गई है वही बर्मी कम्पोस्ट के लिए पृथक बेड निर्माण किया जा रहा है एक एकड़ भूभाग में बाड़ी के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के सब्जी उत्पाद किया जा रहा है इसके लिए आठ महिला समूह पूरी तल्लीनता से अपनी सेवाएं दे रही है बाड़ी में भाटा,बरबट्टी,भिंडी,मिर्ची, उड़द दाल, की फसल ली जा रही है सरपंच दिपेश्वरी नारायण पाल ने आगे बताया कि नदी से लगे जंगल नुमा क्षेत्र में हल्दी,एवं अदरक लगाने की योजना है साथ ही गौठान से सौ मीटर की दूरी पर मनरेगा के तहत तालाब निर्माण करवाया गया है जिसमे मत्स्य पालन किया जाएगा तालाब निर्माण से ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त हुआ तथा उनके आर्थिक लाभ का मार्ग प्रशस्त हुआ उन्होंने आगे बताया कि सौ टन बर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है उसकी मांग भी बहुत है जिसकी आपूर्ति करने में महिला समूह पूरी तरह से जूझ रही है सरपंच दिपेश्वरी नारायण पाल ने बताया कि ग्राम के महिला समूह को आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से तथा अन्य कृषि उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाता है जो कृषि अधिकारी आकर मार्ग दर्शन करते है महिला समूह के लिए भवन निर्माण किया गया है जहां बैठकर वे भावी कार्य योजनाओं पर विचार विमर्श करती है श्रीमती दिपेश्वरी नारायण पाल ने आगे बताया कि गौठान सहित बाड़ी क्षेत्र में पानी की विकराल समस्या है जिसकी पूर्ति हेतु महानदी से पाइप लाइन बिछाना पड़ेगा तभी गौठान बाड़ी में सिंचाई व्यवस्था का निराकरण संभव है इस कार्य हेतु अनुमानित दस लाख व्यय आएगा परन्तु शासन द्वारा प्रदत्त राशि उक्त योजना के लिए पर्याप्त नही है आर्थिकी अभाव के कारण यह योजना अमल में नही लाया गया है उन्होंने कहा है कि-शासन द्वारा गौठान व्यवस्थापन के नाम पर दस हजार रुपये प्रदान करती है जो वार्षिकी एक लाख बीस हजार रुपये होता है उन्होंने बताया कि एक लाख बीस हजार में दो चरवाहे को ही प्रति माह यदि मासिक वेतन पांच,पांच हजार रुपये दिए जाएं तो दस हजार रुपये ऐसे ही समाप्त हो जाता है फिर गौठान एव अन्य क्षेत्र के सब्जी मत्स्य उत्पाद,गौठान व्यवस्थापन, इत्यादि में कहां से राशि की आपूर्ति की जाएगी ?जबकि अस्थायी तौर पर निर्मित गौठान डोम उसके पुनरोद्धार में भी प्रतिवर्ष राशि लगना तय है तब ऐसे परिस्थिति में आवक कौड़ी की नही खर्च लाखों रुपये का कहां से व्यवस्था की जाएगी ? जब उन्हें बाड़ी सहित अन्य उत्पाद,बर्मी कम्पोस्ट विक्रय से व्यवस्थापन किए जाने की बात कही गई तो सरपंच श्रीमती दिपेश्वरी नारायण पाल ने बताया कि बर्मी कम्पोस्ट खाद जब पैकेजिंग किया जाता है तब उसमें नमी अथवा गीलापन होता है वही खाद जब सुखता है तो वजन में तीस प्रतिशत कमी आ जाती है जो सीधे सीधे एक किलो में सात सौ ग्राम ही बर्मी कम्पोस्ट खाद रह जाता है उस पर भी महिला समूह को कुछ प्रतिशत राशि प्रदान करने के पश्चात शेष राशि मे गौठान व्यवस्था असंभव हो जाता है उन्होंने कहा - पानी की समस्या के चलते न बाड़ी में सुचारू ढंग से सिंचाई होगी और न ही ढंग की फसल महिला समूह उठा पाएँगी ऐसी परिस्थिति में सब्जी भाजी,फसल में पानी नही तब अल्प उत्पाद के विक्रय राशि से भी गौठान व्यवस्था असंभव हो जाता है वही नव निर्मित तालाब जिसमे मछली पालन किया जाना है तब उसमें जल ही नही होगा तो मछली को जीवन कहां से प्राप्त होगा कब तक वर्षा आधारित जल पर इन्हें जिंदा रख पाएंगे वही ग्रीष्म ऋतु में नाले का पानी भी सुख जाता है कुल मिलाकर उन्होंने पानी की समस्या सबसे बड़ी बताई है। श्रीमती दिपेश्वरी नारायण पाल शासन के नीति से भी तनिक विचलित नजर आई उनका मत है कि ग्राम पंचायत द्वारा गौठान अध्यक्ष चयन का अधिकार सरपंच एव पंचगण का होना चाहिए मगर शासन पर बैठे अधिकारी सरपंचों के अधिकारों का हनन कर स्वयं ही गौठान अध्यक्ष का चयन कर पंचायत के उपर बलात थोप रहे है उन्होंने कहा कि गौठान योजना सफल तभी हो सकती है जब शासन आर्थिक रूप से ग्राम पंचायतों को सहयोग करे क्योंकि अभी तक शासन का सहयोग नाममात्र ही है कई स्थानों के गौठनों में सरपंचो द्वारा जेब से पैसे लगाया गया है मगर अब तक उनका भुगतान लंबित है यदि इसी प्रकार शासन का रवैय्या चलता रहा और ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित योजनाए और विकास हेतु आर्थिक सहयोग नही दिया गया तो नरवा,गरुवा, घुरूवा, बाड़ी जैसी योजना साल भर में ही दम तोड़ सकती है दूसरी ओर सरपंच दिपेश्वरी नारायण पाल ने यह भी कहा है कि गौठान निर्माण की वजह से ग्राम की भूमि से अतिक्रमण भी हट चुका है साथ ही लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा हैं।