सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झीट में ग्रामीणों को मिल रही बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं रायपुर और दुर्ग पर निर्भरता हुई कम
सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन का है इंतजाम हर गुरुवार को गायनेकोलॉजिस्ट और सोनोग्राफी की सुविधा भी शुरू
कोरोना संकट के दौरान शुरू हुआ 50 बिस्तरों का कोविड केयर सेंटर,सितंबर से अब तक 125 मरीजों को मिला इलाज
कोरोना पॉजिटिव मरीजों ने बताया कि उनका पूरा खयाल रखा गया
दुर्ग / राज्य सरकार के प्रयासों से ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं लगातार बेहतर हो रही हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झीट में भी कोविड संक्रमण कम होने के बाद स्थिति सामान्य होने लगी है। दीपावली के बाद ओपीडी की सर्विसेस फिर से शुरू की गई है। झीट में सर्व सुविधा युक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होने से आसपास के गांव की गर्भवती स्त्रियों को काफी सहूलियत हो गई है यहां पर हर गुरुवार को स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं सोनोग्राफी की सुविधा महिलाओं को मिल रही है। हर गुरुवार को डॉ अहिल्या पटेल एवं रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर रवीश कुमार कुमार यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पिछले दो हफ्तों में यहां में यहां 25 गर्भवती स्त्रियों की सोनोग्राफी हुई है।
यहां पर सर्व सुविधा युक्त लेबर रूम भी है कल 23 नवंबर 2020 को ही नजदीक के पाहंदा ग्राम की सपना कुर्रे ने ने अस्पताल में एक स्वस्थ बच्ची बच्ची को जन्म दिया। सपना बताती है कि अस्पताल में उनका और उनकी बेटी का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी यहां के डॉक्टर हो स्टाफ नर्स एवं मितानिन दीदी ने काफी मदद की। सपना ने बताया कि यहाँ के स्टाफ का व्यवहार बहुत अच्छा है। डिलीवरी का समय नजदीक आने पर उनकी सास उन्हें यहां लेकर आई। पहली बार मां बन रही सपना शुरुआत में थोड़ी घबराई हुई थी लेकिन यहां की सुविधाएं देखकर सुविधाएं देखकर उसके परिवार एवं उसे काफी संतुष्टि मिली।
30 बिस्तर वाले इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जीवनदीप की मदद से 7 बिस्तर वाला कैजुअल्टी वार्ड भी भी बनाया गया है। यहां पर पैथोलॉजी लैब की सुविधा भी उपलब्ध है जहां उपलब्ध है जहां पर सीबीसी ,शुगर एवं गर्भवती स्त्रियों के लिए आवश्यक सभी प्रकार की जांच की जाती है। ग्रामीणों को यह सुविधा बहुत ही कम फीस पर उपलब्ध है उपलब्ध है। अस्पताल में मरीजों के लिए दवाइयां भी उपलब्ध है। यहां के दवा वितरण केंद्र में विभिन्न बीमारियों की 250 से अधिक जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध है। इस अस्पताल में दंत रोग विशेषज्ञ की सुविधा भी उपलब्ध है।सामान्य चोट की मरहम पट्टी के लिए ड्रेसिंग रूम भी है।
सेंट्रलाइज ऑक्सीजन के साथ ही बाधारहित बिजली सप्लाई के लिए सोलर सिस्टम एवं जनरेटर की भी है व्यवस्था- डॉक्टर कठोतिया ने बताया कि ने बताया कि अस्पताल होने के नाते यहां पर अबाधित विद्युत सप्लाई की बहुत जरूरत है जरूरत है इसलिए यहां सोलर सिस्टम एवं जनरेटर भी लगाया गया है ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो। यहां पर सभी वार्डों के लिए सेंट्रलाइज ऑक्सीजन की व्यवस्था है। यहाँ के अलावा दुर्ग जिले में यह सुविधा केवल जिला अस्पताल एवं शास्त्री अस्पताल सुपेला में ही उपलब्ध है।
कोविड19 इलाज के लिए सितंबर में शुरू हुआ 50 बिस्तरों का कोविड केयर सेंटर,100 से अधिक मरीज हो चुके डिस्चार्ज वर्तमान में 13 मरीज ले रहे स्वास्थ्य लाभ- कोविड 19 संकट के दौरान कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भुरे के निर्देशों के बाद ग्रामीण जनों को कोरोना का इलाज उपलब्ध कराने पाटन ब्लाक के ग्राम झीट में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सितंबर महीने में 50 बिस्तरों का कोविड केयर सेंटर शुरू किया गया। जहां एसिम्प्टोमेटिक एवं बहुत कम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गई। सीएचसी झीट के प्रभारी डॉ डी आर कठोतिया ने बताया कि यहाँ ओर ए सिप्टोमेटिक एवं हल्के लक्षण वाले मरीजों को ही रखा जाता है। गंभीर मामलों को शंकराचार्य कोविड अस्पताल अथवा डॉ चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल रिफर किया जाता है।सितंबर से लेकर अब तक यहाँ 125 कोरोना पॉजिटिव मरीज एडमिट हुए जिनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया। आज भी दो मरीज डिस्चार्ज हुए हैं। स्टाफ नर्सें 3 शिफ्टों में देती हैं सेवाएं,24 घण्टे 8 सीसीटीवी कैमरे रखते हैं मरीजों पर निगरानी,दिक्कत होने पर मरीज कॉल भी करते हैं - कोविड केयर सेंटर में स्टाफ नर्सें 3 शिफ्टों में ड्यूटी करती हैं। यहां सेवाएं देने वाली स्टाफ नर्सों नर्सों श्रीमती सुभद्रा सोनकर सुश्री मेनका और क्षमा साहू से भी हमने बात की। उन्होंने बताया कि पहले तो उन्हें भी डर लगा था लेकिन धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ने लगा। यदि प्रोटोकॉल का पालन किया जाए तो संक्रमण का खतरा कम हो जाता है ।सुभद्रा बताती हैं उन सभी को पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट मास्क फेस शील्ड इत्यादि उपलब्ध कराया गया है। हालांकि पीपीई किट पहनकर ड्यूटी करना मुश्किल है लेकिन मरीजों के प्रति जिम्मेदारी के साथ अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है।इसलिए वो पूरी सावधानी रखती हैं।
डिस्चार्ज हुए सुमेंद्र साहू और राजेश्वर साहू ने बताया कोविड केयर सेंटर में मरीजों का रखा जा रहा अच्छा खयाल- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झीट में स्थित कोविड-19 केयर सेंटर में मरीजों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है आज ही 2 मरीज मरीज यहां से डिस्चार्ज हुए हैं। सुमेंद्र साहू और राजेश्वर साहू आईडीएफसी बैंक उतई उतई में काम करते हैं। 13 नवंबर को उनको पता चला कि उनकी कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। पहले 2 दिन वे होम आइसोलेशन में रहे इसके बाद 16 नवंबर को वे दोनों कोविड-19 सेंटर झीट में एडमिट हो गए। सुमेंद्र और राजेश्वर बताते हैं कि बताते हैं कि यहां पर उनका अच्छी तरह से ध्यान रखा गया डॉक्टर एवं स्टाफ नर्सों ने अच्छी तरह से सेवा की समय-समय पर पर सारे राइटर्स भी भी चेक किए इसके अलावा उनको गर्म और ताजा भोजन भी उपलब्ध कराया गया। उनकी स्थिति में सुधार होने के बाद 24 नवंबर को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। डिस्चार्ज होने के बाद करीब 10 दिन के लिए दोनों होम आइसोलेशन में रहेंगे।
मरीजों की सेवा करते हुए स्टाफ भी हुआ संक्रमित लेकिन सेवा भावना में नहीं आई कोई कमी,स्वस्थ होकर फिर से कर रहे हैं कोरोना मरीजों की सेवा- कोविड संकट में हमारे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने जिस तरह से पूर्ण समर्पण के साथ सेवाएं दी हैं काबिले तारीफ है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झीट में भी रेडियोटेक्निशियन श्री चंद्रहास ठाकुर और स्टाफ नर्स सुश्री अंजू देशलहरे भी मरीजों की सेवा के दौरान पॉजिटिव हो गए थे। अंजू कचांदूर स्थित चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल के कोविड-19 केयर सेंटर और चंद्रहास कोविड केयर सेंटर ऊपरवारा में एडमिट हुए। दोनों स्वास्थ्य कर्मी बताते हैं कि संकट का समय है ऐसे में मानवता की सेवा के लिए अपना योगदान देना बहुत अच्छा लगता है वह कहते हैं कि खतरा तो है लेकिन अगर हम मरीजों की सेवा नहीं करेंगे तो कौन करेगा। आज दोनों स्वस्थ होकर वापस मरीजों की सेवा में जुट गए हैं। चंद्रहास अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि कोविड पॉजिटिव होने के बाद शरीर के साथ-साथ मानसिक बल भी कम हो जाता है इसलिए मरीजों को मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाना पड़ता है।उनको साइको थेरेपी का भी ज्ञान है इसी दौरान कोरोना उनके पिताजी की भी मृत्यु हो गई इस वजह से वह मानसिक रूप से काफी कष्ट में थे लेकिन साइकोथेरेपी से उनको काफी मदद मिली वह बताते हैं कि उपरवारा में उन्होंने अन्य मरीजों को भी साइकोथेरेपी दी जिससे उनको भी काफी फायदा हुआ।